Mere Dost Ki Maa Meena – Part 1
मैं- अह्ह्ह्ह्ह, कुछ नहीं माँ, आप ऐसे ही लेटे रहो बहुत अच्छा लग रहा है मुझेईई उफ्फ्फ।।।
(आंटी समझ गयी कि मैं अपना लण्ड रगड़ रहा हूँ, लेकिन आंटी ने कोई विरोध नहीं किया, ऐसे ही लेटी रही )
आंटी- तू शादी कर ले अब बेटा, तुझे बीवी की बहुत जरुरत है।
मैं- अह्ह्ह्ह, कोई मिलती नहीं आपके जैसी मस्त।।
आंटी- मेरे जैसी तो मैं ही हूँ बस और कोई नहीं, परी हूँ मैं।
मैं- तो तुम से शादी कर लूँ क्या ?
आंटी- चुप, बदमाश कहीं का, लफंगा, आवारा।
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
(हम ऐसे ही जमीन पर लेटे रहे और मैं अपना लण्ड आंटी की चूत में रगड़ रहा हूँ, मेरा माल निकलने वाला है और मेरी रफ़्तार भी तेज़ हो गयी, मेने आंटी को कस कर जकड लिया और अपने होंट उनके होंट पर रख दिए, आंटी समझ गयी कि मैं अब झड़ने वाला हूँ, आंटी को भी मजा आ रहा है क्यों कि मैं अपना लण्ड ठीक उनकी चूत के ऊपर रगड़ रहा हूँ, मैं आंटी के होंट चूसने लगा, आंटी चुपचाप लेटी रही, न तो कोई विरोध था और न ही साथ दे रही है और फिर मेरा माल निकलने वाला होता है)
पढ़ते रहिये.. क्योकि ये कहानी अभी जारी रहेगी और इस कहानी के बारे में कुछ भी प्रतिक्रिया देनी हो तो कमेंट करके दें..
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