Vijay Aur Uski Malkin Nirmla
मालकिन की उम्र 25 साल, रंग गोरा, गदराया बदन, खुले बाल, साड़ी में लिपटी हुई एक अप्सरा लगती थी। माँ बाप छोटे ज़मीदार होने की वजह से इनके हिसाब का कोई रिश्ता..
दीप पंजाबी आयु 30 साल, कद 5 फ़ीट 3 इंच रंग गेंहुआ। श्री मुक्तसर साहिब (पंजाब) आप अपना कोई भी सुझाव या शिकायत इस मेल पते पर भेज सकते हैं जो हमे आगे की कहानियो में सुधार करने में मदद मिलेगी। [email protected]
मालकिन की उम्र 25 साल, रंग गोरा, गदराया बदन, खुले बाल, साड़ी में लिपटी हुई एक अप्सरा लगती थी। माँ बाप छोटे ज़मीदार होने की वजह से इनके हिसाब का कोई रिश्ता..
ये बात करीब 6 महीने पुरानी है जब हमारे एरिये की सड़के बन रही थी। आपको तो पता ही है सड़क वालो की लेबर में औरते भी होती है। उनके बारे में तो सब जानते ही है..
ये बात तब की है जब मैं पढ़ाई पूरी करके घर से कुछ कामकाज के लिए सपनों की महानगरी मुम्बई में आया था। उस वक़्त मैं बहुत खुश था के जिस शहर को देखने के लिए बचपन से..
अब हम दोनों जीजू साली अस्पताल में राज की माँ की देखभाल के लिए रुक गए। माजी और सोनिया को खाना खिलाया। इतने में रात हो गयी। हम दोनों हाल में ही एक बेंच पर..
हलो मित्रो मेरा नाम शिवम् है और मैं पंजाब से हूँ। मेरी उम्र 30 साल है। मेरी शादी किरण (28) से हुई को 2 साल हो गए है। मेरा सुसराल हरियाणा में पड़ता है। किरण..
ये बात 2013 के जून महीने की है । जब हर साल की तरह इन दिनों में स्कूलों में गर्मियों की छुटियाँ होती है। मैं अपने घर पे अपने कमरे जो के एक चुबारा है..
अब मैं कब तक सब्र करता। आग से पास आकर घी पिघल ही जाता है। सो उसके चुम्बन ने मेरे शरीर में कामवासना जगा दी और मैं भी उसे चूमने लगा। उसके मम्मे दबाने लगा..
जब मैंने पढ़ाई पूरी करके छोड़ी थी और घर पे ही रहकर काम धंधा खोज रहा था। एक दिन मैं काम काज के सिलसिले से पास वाले शहर गया हुआ था। जब दोपहर को घर वापिस आया तो..
एक साल के भीतर ही मेरा उनसे तलाक़ हो गया। घर वालो ने दुबारा शादी करने का सोचा पर मेरा दिल नही माना और मेने नौकरी करने की ठान ली। इस लिए आपके पास उस दिन नौकरी..
ये कहानी शुरू होती है कोलकाता के मिस्टर सुनील गुलाटी के परिवार से जिसमे खुद सुनील, उसकी पत्नी स्वाति गुलाटी और उसका छोटा भाई विवेक गुलाटी रहता है..
ये कहानी थोड़ी पुरानी है। जब हमारे गांव में इतना मोबाइल का क्रेज़ नही था। मतलब जैसे आज हर परिवार में 3-4 मोबाइल होना आम बात है। तब ऐसा नही था। लोग फोन पे बात..
ये कहानी करीब 5 साल पुरानी है जब मेने पढ़ाई खत्म करके काम ढूँढना शुरु किया, हमारा गांव शहर से 10 किलोमीटर दूर है और जरा सी चीज़ लेने भी शहर जाना पड़ता है..
मैंने सुसराल छोड़ दिया और मायके में जाकर रहने लगी, वहाँ किसी भली औरत के सम्पर्क में आई उसने मेरी यहाँ इस शहर में नौकरी लगवादी और एक कमरा जिसमें अब हम बैठे..
उसकी उम्र यही कोई 30 के करीब होगी, रंग गोरा, पतली सी कमर, ऊपर मॉडर्न कपड़े आह क्या बोलू एक दम भारतीय अभिनेत्रियों को भी मात देती नखरीले स्टाइल की मालकिन है।
उस दिन से आशा के मन में उस रोहित के प्रति नफरत सी हो गयी। उसने घर में तो किसी को कुछ नही बताया पर अब जहाँ भी रोहित मिलता, उससे किनारा कर लेती।
ये बात आज से 7 साल पहले की है। जब मध्यप्रदेश के दो अलग अलग गांवो के राहुल और उसकी बुआ का लड़का रोहित दोनों एक ही क्लास में पढते थे। अब दोनों का परिचय भी..
बात थोड़ी सी पुरानी है। मेने जब स्कूल में 12वीं की परीक्षा दी थी। तो बोर्ड की कक्षा होने के कारण नतीजा आने में कुछ वक्त लगना था। तो मैं घर पे ही फ्री रहता..
गांव की पढ़ाई पूरी करके मैंने आगे की पढ़ाई के लिए पंजाब के बठिंडा शहर में दाखिला ले लिया शहर घर से काफी दूर था। तो रोज़ाना आना जाना कठिन काम था। सो एक जान..
मेरे पड़ोस में जमीदार का घर हैं तो उन्होंने घर का कूड़ा कर्कट उठाने के लिए एक काम वाली रखी हुई थी। उसका नाम रूपा (नाम कहानी में बदल रहा हूँ क्योंके प्राइवेसी.
कहानी शुरू होती है साल 2009 की गर्मियों के दिनों से , जब मैं पढ़ाई से फ्री होकर काम काज की तलाश में इधर उधर भटक रहा था। तो हमारे गांव से बाहर छोटी सी नहर..