Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 21
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न जाने कहाँ से मेरी जबान फिसल गयी और मैं बोल पड़ी, “तो राज, तुम्हें रोका किसने है?”
बस मेरा इतना ही बोलना था की मेरे दोनों प्रेमी एकदम मुझ पर टूट पड़े। मेरे एक स्तन को राज और दूसरे को अनिल जैसे कोई आम चूस रहे हों ऐसे चूसने लगे। मेरे स्तन मेरी बहोत बड़ी कमजोरी है। जब मेरी बेटी भी मेरा स्तन पान करती थी तो मेरी टाँगों के बिच से झरना बहने लगता था। कही भूल से भी बस या ट्रैन में सफर करते हुए या कोई भीड़ वाले इलाके में गुजरते हुए यदि किसी का हाथ मेरे स्तन को छू जाए तो मैं बड़ी विचलित हो जाती थी।
मेरे पुरे बदन में काम की ज्वाला भड़कने लगी। इतेने दिनों की दबी वासना पुरे शरीर में फ़ैल रही थी और अब चूँकि मेरे पति ने भी मुझे पूरी छूट दे छूट दे दी थी जिससे तो मैं जैसे नियत्रण विहीन हो गयी थी। एक वाहन जैसे चालक के नियत्रण से बाहर हो जाए तो रास्ते पर स्वच्छंदता पूर्वक दौड़ने लगता है वैसे ही मेरा हाल था। मेरा मन मेरे नियत्रण के परे हो गया था।
मैने मेरे दोनों प्रेमियों के सर मेरे दोनों बाहों में लिए प्यार से अपने कन्धों पर टिकाकर उन्हें प्यारसे चूमने लगी। मुझे पता नहीं क्या हो रहा था। मैं उस समय अर्ध नग्नावस्था में थी। मेरे परिपक्व लहराते हुए स्तन मेरे दोनों प्रेमियों के हाथों में थे और वह मेरे स्तनों को जोश खरोश से मसल रहे थे।
सामान्यतः हम पत्नियों को अपने पति, अपने बच्चों और समाज से अपनी मर्यादा बना कर रखनी पड़ती ही जिससे की हमारे चरित्र पर कोई लांछन न लगे। पर यहां ऐसा कोई भय नहीं था। मेरा पति खुद मुझे किसी और पुरुष से चुदवाने के लिए उकसा रहा था, मेरी छोटी सी बच्ची गहरी नींद में सोई हुई थी और जब मेरा पति ही मेरी ढाल बना हुआ था तो फिर समाज को क्या पता लगना था?
वक्त आगया था की मैं भी अपनी हवस को संतृप्त करूँ। मैंने मेरे दिमाग से सारे असमंजस और दुविधाओं को उखाड़ फेंका और मैं निःसंकोच होगयी। मैंने मेरे पति की नाक पकड़ी और बोली, “डार्लिंग, मुझे यह बताओ की तुम तो टूर पर जा रहे थे और यहां कैसे पहुँच गए? क्या तुम मेरी जासूसी कर रहे थे?”
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ जब मेरे पति अनिल ठहाका लगा कर हंस पड़े और बोले, “अरे मेरी नासमझ बीबी, क्या अभी भी नहीं समझी? यह मेरा प्लान था। मैं जान गया था की तुम राज से आकर्षित तो थी पर लाज और मर्यादा के कारण उसे आगे बढ़ने नहीं दे रही थी। और राज तो खैर तुम्हारे पीछे पागल था ही। मैं स्वीकार करता हूँ की मैं नीना की और आकर्षित था।”
मैंने मेरे पति की बात को काटते हुए कहा, “साफ़ साफ़ कहो न की तुम नीना को चोदना चाहते थे? तुम्हारा उल्लू सीधा करने के लिए तुमने राज को मेरे करीब आने का खुला मौक़ा दिया ताकि राज तुम्हें नीना से करीबी बढ़ाने का मौक़ा दे? और मैं यह समझ गयी हूँ की तुमने और राज ने मिलकर मेरी प्यारी सखी नीना को आखिर चोद ही डाला। और यह सब शायद होली की रात को हुआ। सही या गलत?”
कहानी पढ़ने के बाद अपने विचार निचे कोममेंट सेक्शन में जरुर लिखे.. ताकि देसी कहानी पर कहानियों का ये दोर आपके लिए यूँ ही चलता रहे।
मेरे पति की जबान पर तो जैसे ताला लग गया। मेरे सवाल का जवाब देने में मेरे पति की जबान लड़खड़ाने लगी तब मैं ठहाका मारते हुए हंस पड़ी और बोली, “पकड़ लिया न तुम दोनों को? तुम मर्द लोग सोचते हो हम औरतें मंद बुद्धि हैं और तुम्हारी चाल समझ नहीं सकते। अरे हम सब समझते हैं। पर यह गनीमत समझो की तुम इतने सारे हथकंडे अपनाते हो फिर भी हम तुम लोगों को तहे दिल से प्यार करते हैं क्योंकि हम जानते है की मर्द जात बन्दर की तरह होती हैं।
कोई सुन्दर बंदरिया जैसे देखि तो वह कूदने लगते हैं और उस से छेड़ छाड़ करने में और उस को चोदने के लिए उतावले हो जाते हैं। पर जैसे ही वह बंदरिया उसे लात मारती है तो वह फिर कूदते नाचते अपनी पत्नी के पास वापस ही आते हैं, और फिर उससे प्यार जता ने लगते हैं। हाँ कभी कभी कोई भोली बंदरिया फँस भी जाती है, जैसे नीना और मैं फँस गए हैं तुम दोनों बंदरों की जाल मैं।”
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