Badi Mushkil Se Biwi Ko Teyar Kiya – Part 20

iloveall 2017-02-25 Comments

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मैं झिझकते हुए बोली, “मैंने तुम्हें कहा है न, मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। पर जो भी करो मुझे थोड़ा समय जरूर देना, प्लीज? एक बात और, जैसा की मैंने अभी आपसे कहा, अगर आप नीना को पटा लेते हो तो समझो मैं इसमें आपके साथ ही हूँ।”

उस रात अनिल इतना खुला हुआ था और मुझे उसने इतना प्यार दिया और उतने प्रेम से और मुझे सेक्स का भरपूर आनंद देते हुए चोदा की जैसे उसने पहले कभी नहीं चोदा था। उस रात मैं भी इतनी खुली हुई और आनंदित थी और मैं उसके लिए नीना की शुक्रगुजार थी। यह कहानी आप देसी कहानी डॉट नेट पर पढ़ रहे है।

दूसरे दिन सुबह से ही बिजली गायब थी। अनिल ने बिजली ठीक करने के लिए बिजली के मीटर के पास जाकर बड़ी कोशिश की के उसे ठीक करे पर कुछ न हुआ। आखिर में उसने मुझे कहा की वह बिजली मिस्त्री को फ़ोन करेगा। जब अनिल ने फ़ोन किया तो पता चला की हमारे मोहल्ले का ट्रांसफार्मर जल गया था और दुरस्त होते होते शाम हो जाएगी।

ऑफिस पहुँच कर अनिल का फ़ोन आया की वह उस दिन शाम तीन दिन की टूर पर जा रहा था। मुझे कुछ खरीदारी करनी थी। हमारे घर से थोड़ी सी दूर हमारे एक पड़ोसि युगल को कोई बच्चा नहीं था। वह दोनों मेरी बेटी गुन्नू से बहुत प्यार करते थे। जब मौका मिलता वह गुन्नू को ले जाते और उसके साथ खेल करके उसे कुछ खाना खिलाके वापस दे जाते थे। गुन्नू भी उन्हें बहुत पसंद करती थी और अक्सर उनके वहां जानेके लिए तैयार रहती थी।

मैंने शामको गुन्नू को उन्हीं के वहाँ छोड़ा। और अनिल जब तैयार हो कर स्टेशन जाने के लिए निकले तो मैं भी अनिल के साथ टैक्सी में ही निकल पड़ी क्योंकि मुझे कुछ खरीदारी करनी थी। अनिल मुझे मार्किट में छोड़ कर स्टेशन के लिए निकल गए। शॉपिंग कर के मैं देर शाम को जब गुन्नू को पडोसी के वहाँ लेने के लिए गयी तो पता लगा की बिजली नहीं आयी थी।

घर पहुंचते ही थोड़ी देर में अँधेरा हो गया। मोमबत्ती के प्रकाश में ही मैंने खाना बनाया। रसोई से जब बाहर निकल कर बारामदे में आयी तो मैंने देखा की हमारे पड़ोसियों के वहां तो बिजली आ चुकी थी पर हमारे घर में अँधेरा था। तब तक शामके आठ बज चुके थे। मैंने जब बिजली मिस्त्री को फ़ोन किया तो पहले तो उसने फ़ोन उठाया ही नहीं फिर काफी देर फ़ोन कर ने के बाद जब एक बार उसने फ़ोन उठाया तो झल्लाकर कह दिया की वह व्यस्त था और उसने आने से मना कर दिया।

मैं बड़ी परेशान हो गयी। अब पूरी रात अकेले अँधेरे में गुजारना मेरे लिए असंभव सा था। रात को मुझे बहुत डर लगता था और हमेंशां मेरे पति के होते हुए भी मैं रसोई अथवा बाथरूम की लाइट चालु रख कर सोती थी। मुझे समझ में नहीं आया की मैं क्या करूँ। मैंने जब मेरे पति अनिल को मोबाइल पर फ़ोन किया तो वह पहुँच के बाहर था।

अब तो पूरी रात अँधेरे में ही गुजारनी थी। डर बहुत लग रहा था, पर क्या करती? मन तो किया की राज को बुलाऊँ। फिर सोचा हर वक्त राज को परेशान करना भी ठीक नहीं। दूसरे नीना भी सोचने लगेगी की कुछ भी हुआ तो हर बार मैं राज को ही क्यों बुला लेती हूँ? मनमें यह भी डर था की अगर इस बार ऐसा वैसा कुछ हुआ तो मैं राज को और अपने आप को भी रोक नहीं पाऊँगी।

मैंने मन मसोस कर अपना नाइट गाउन निकाला औरअंदर के सारे कपडे (ब्रा, पैंटी आदि) निकाल कर और बिस्तर लगाने लगी। अचानक फ़ोन की तेज घंटी बजी तो कुछ क्षणों के लिए मैं काँप उठी। मैंने सोचा,”इस वक्त कौन फ़ोन कर सकता है?”

मैंने फ़ोन उठाया तो राज फ़ोन पर थे। राज ने पूछा, “मुझे अनिल ने बताया था की तुम्हारे घरमें दिनभर बिजली नहीं आयी थी। तो अब क्या बिजली ठीक हो गयी?” मैंने कहा मैं अँधेरे बैठी थी।

राज ने पूछा, “फिर तुमने मुझे फ़ोन क्यों नहीं किया?” तो मैंने कहा की मैं उन को इतनी रात गए कष्ट देना नहीं चाहती थी।

तब राज ने मुझे एक तगड़ी लताड़ लगाते हुए कहा, “अनीता, मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ। तुमने मुझे अपना नहीं समझा। तुम मुझे कष्ट न हो इस कारण अँधेरे में बैठी हो? मैं अब तुमसे और अनिल से बात नहीं करूँगा। अगर सम्बन्ध का मतलब यही होता है तो मेरे लिए इस सम्बन्ध की कोई आवश्यकता नहीं है।”

मैं समझ नहीं पा रही थी की उसे क्या जवाब दूँ। फिर राज ने मुझे अत्यंत धीरज से जब पूछा तो मैंने राज को सारा हाल बताया। एक और मैं राज को कष्ट देना नहीं चाहती थी तो दूसरी और मेरा मन राज को बुलाने पर अत्यंत व्याकुल था। मेरे मन में एक भयंकर द्वन्द चल रहा था। मैं एकदम दुखी और असहायता का अनुभव कर रही थी। राज की सहानुभूति के कारण मैं अपने आपको रोक नहीं पायी और शाम तक हुई मेरी कहानी राज को बताते बताते रोने लगी।

मेरी बात सुनकर राज बड़े दुखी हो गए। राज ने कहा, “तुम ज़रा भी परेशान मत हो। मैं अभी पहुंचता हूँ। नीना तीन दिन के लिए अपने मायके गयी है और मैं अभी कहीं खाना खाने के लिए बाहर जा रहा था।”

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